Friday 12 May 2017

गणित- संख्या पद्धति (Number System)


संख्या पद्धति (Number System)

Ø अंक- संख्याओं को लिखने के लिए जिन 10 संकेतों का प्रयोग किया जाता है उन्हे अंक कहते है ।
                   अंक = 0,1,2,3,4,5,6,7,8,9
·        सभी संख्याएँ इन्ही दस अंकों के प्रयोग से बनी होती है ।
·        इन दस अंकों के प्रयोग से बनने वाली विभिन्न संख्याओं की प्रणाली हिन्दूअरेबिक संख्या प्रणाली कहलाती है ।
·        इस प्रणाली को दाशमिक प्रणाली भी कहते है ।
·        इसमे संख्याओं को लिखने के लिए 10 अंकों का प्रयोग होता है।

Ø गणन संख्याएँ (Counting Numbers)– जो संख्याएँ गिनने अर्थात गणना मे काम आती है, उन्हे गणन संख्याएँ कहते है। गणन संख्याएँ ही प्राकृत संख्याएँ कहलाती है।
शून्य(0) प्राकृत संख्याओं मे शामिल नहीं होता है ।

Ø प्राकृत संख्याएँ (Natural Numbers)– प्राकृत संख्याओं के समुच्चय को N से प्रदर्शित करते है
               N = 1,2,3,4,5,6,………….. ,10,11,…………… ∞
·        सबसे छोटी प्राकृत संख्या = 1 होती है।
·        जबकि सबसे बड़ी प्राकृत संख्या परिभाषित नहीं है ।
·         
Ø परवर्ती संख्या- किसी संख्या मे एक जोड़ने पर उसकी परवर्ती संख्या प्राप्त होती है ।

Ø पूर्ववर्ती संख्या किसी संख्या मे एक घटाने पर उसकी पूर्ववर्ती संख्या प्राप्त होती है ।
Ø पूर्ण संख्या (Whole Numbers) पूर्ण संख्याओं के समुच्चय को W से प्रदर्शित करते है।   प्राकृत संख्याओं मे शून्य(0) जोड़ने पर पूर्ण संख्याएँ प्राप्त हो जाती है ।  
              W = 0,1,2,3,4,5,6,…….10,11,……  ∞ 
·        0 एक पूर्ण संख्या है परंतु प्राकृत संख्या नहीं है ।
·        सभी प्राकृत संख्याएँ पूर्ण संख्याएँ होती है ।

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Ø पूर्णांक संख्याएँ (Integer Numbers)
           पूर्णांक संख्याओं के समुच्चय को I से प्रदर्शित करते है ।
                 I= ..........-4,-3,-2,-1,0,1,2,3,4,……….
·        पूर्णांक संख्याओं मे सभी धनात्मक पूर्णांक, ऋणात्मक पूर्णांक तथा शून्य सम्मिलित होते है ।
·        शून्य को उदासीन पूर्णांक भी कहते है ।

Ø परिमेय संख्याएँ परिमेय संख्याओं को Q से प्रदर्शित करते है ।
                 Q = पूर्णांक/पूर्णांक
                 Q = p/q   
       (जहां p, q  पूर्णांक संख्याएँ है परंतु q का मान शून्य नहीं होना चाहिए।)
·        परिमेय संख्याओं के दशमलव निरूपण सांत अथवा असांत आव्रत्ति वाले होते है ।
·        परिमेय संख्याओं के दशमलव निरूपण यदि असांत हो तो वह आवर्ती होंगे ।
·        परिमेय संख्याओं मे समस्त प्राकृत, पूर्ण एवं पूर्णांक संख्याएँ सम्मिलित होती है ।

Ø    अपरिमेय संख्याएँ जिन संख्याओं के दशमलव निरूपण असांत अनावर्ती होते है , वे संख्याएँ अपरिमेय संख्याएँ कहलाती है ।


प्राकृत संख्याओं का वर्गीकरण
Ø    सम संख्या (Even Numbers) उन सभी प्राकृत संख्याओं को सम संख्याएँ कहते है जो 2 से पूर्णतः विभाजित हो जाती है ।    
               सम संख्याएँ =2,4,6,8,10,12,……….
Ø    विषम संख्याएँ (Odd Numbers) वे सभी प्राकृत संख्याएँ जो 2 से विभाजित नहीं होती है विषम संख्याएँ कहलाती है ।
               विषम संख्याएँ = 1,3,5,7,9,11,13,15,………..

Ø    अभाज्य संख्या या रूढ संख्या (Prime Numbers)– वे सभी प्राकृत संख्याएँ जिनके केवल दो ही गुणनखंड होते है एक- स्वयं वह संख्या तथा दूसरा- एक, अभाज्य संख्याएँ कहलाती है । अर्थात जिनमे स्वयं तथा 1 के अतिरिक्त किसी अन्य संख्या का भाग नहीं जाता है ।                                                                           
                    अभाज्य संख्या= 2,3,5,7,11,13,17,19,…………..

Ø    योगिक अथवा भाज्य संख्या (Composite Numbers)– जिन प्राकृत संख्याओं के दो से अधिक गुणनखंड होते है , भाज्य संख्याएँ कहलाती है ।  
             भाज्य संख्या= 4,6,8,9,10,12,14,15,16,18,………..
·        संख्या 1 ना तो भाज्य है ना अभाज्य ।
·        संख्या 2 एकमात्र सम परंतु अभाज्य संख्या है ।  
·         
Ø    वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers ) उपरोक्त वर्णित समस्त प्रकार की संख्याओं को एक साथ मिलकर वास्तविक संख्याएँ कहते है । इसमें सभी परिमेय एवं अपरिमेय संख्याएँ सम्मिलित होती है ।  


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