जीव
विज्ञान (Biology)
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जीव विज्ञान विज्ञान की वह शाखा है,
जिसमें जीवधारियों (प्राणियों एवं वनस्पतियों) का
अध्ययन किया जाता है।
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जीव विज्ञान अङ्ग्रेज़ी भाषा के शब्द “BIOLOGY” का हिन्दी पर्याय है। “Biology” शब्द दो शब्दों “Bios” अर्थात
जीवन एवं “Logos” अर्थात
अध्ययन से मिलकर बना है।
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“बायोलॉजी” शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम लैमार्क
और ट्रेविनेरस ने सन 1801 में किया था।
· जीव विज्ञान की प्रमुख दो शाखाएँ प्राणीशास्त्र (Zoology) एवं वनस्पति
शास्त्र (Botany) है।
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अरस्तू को जीव विज्ञान एवं जन्तु विज्ञान का जनक
माना जाता है।
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थियोफ्रेस्टस को वनस्पति शास्त्र
का जनक माना जाता है।
जीव
विज्ञान की महत्वपूर्ण शाखाएँ
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जीव विज्ञान की अन्य महत्वपूर्ण शाखाओं के जनक और उनका अर्थ यहाँ दिया
जा रहा है-
शाखा
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जनक
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अर्थ
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जीवाश्म विज्ञान
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लियानार्डो डी विंन्सी
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जीवाश्मों का अध्ययन
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आनुवंशिकी
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मेंडल
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माता-पिता से संतान में जाने वाले लक्षणों का अध्ययन
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कोशिका विज्ञान
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राबर्ट हुक
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कोशिका और उनके अंगों का अध्ययन
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वर्गिकी
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करोलस लिनियस
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जीवित प्राणियों एवं वनस्पतियों के वर्गीकरण का अध्ययन
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ऊतक विज्ञान
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मेलपीजी
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ऊतकों के वर्गीकरण एवं कार्यों का अध्ययन
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पादप कार्यिकी
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स्टीफन हेल्स
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पादपों के कार्यों का अध्ययन
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कवक विज्ञान
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मिचेल
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कवक की संरचना, वर्गीकरण एवं कार्यों का
अध्ययन
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जीवाणु विज्ञान
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ल्यूवेन हाक
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जीवाणुओं की संरचना, वर्गीकरण एवं कार्यों का
अध्ययन
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सूक्ष्म जीव विज्ञान
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लुई पाश्चर
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सूक्ष्म जीवों की संरचना, कार्यों एवं उनके द्वारा होने
वाले रोगों का अध्ययन
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प्रतिरक्षा विज्ञान
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एडवर्ड जेनर
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संक्रामक रोगों से निवारण करने की
प्रतिरक्षा प्रणाली का अध्ययन
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कोशिका
विज्ञान (Cytology)
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कोशिका विज्ञान के अंतर्गत कोशिका की संरचना और उसके कार्यों का
अध्ययन किया जाता है।
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कोशिका सभी जीवधारियों की संरचनात्मक एवं
कार्यात्मक इकाई कहलाती है।
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कोशिका की खोज सन 1665 में राबर्ट हुक
ने की थी। हुक ने कोशिका को सेल (Cell) नाम दिया था। उनकी पुस्तक “माइक्रोग्राफिया” है।
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राबर्ट हुक ने कार्क की कोशिकाओं का
अध्ययन किया था।
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सर्वप्रथम वर्ष 1667 में ल्यूवेन हाक ने जीवाणु
की कोशिकाओं का अध्ययन किया।
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वर्ष 1831 में रॉबर्ट ब्राउन ने कोशिका में 'केंद्रक व केंद्रिका' की खोज की।
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सबसे छोटी कोशिका जीवाणु मायकोप्लाज़्मा
गेलिसेप्टिकम की है।
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सबसे बड़ी कोशिका शुतुरमुर्ग के अंडे
की है।
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सबसे लंबी कोशिका तंत्रिका तंत्र की
कोशिका है।
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कोशिका के आधार पर जीवों को दो भागों में बांटा जा सकता है-
अ) एक
कोशिकीय जीव- इनका शरीर केवल एक ही कोशिका का बना होता है।
उदाहरण- अमीबा, पैरामिशियम, यूग्लीना, जीवाणु आदि।
ब) बहुकोशिकीय जीव- इनका शरीर अनेक
कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। इनमें श्रम विभाजन पाया जाता है।
उदाहरण- सभी विकसित पादप, जन्तु, मनुष्य आदि।
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कोशिका सिद्धान्त का प्रतिपादन वर्ष 1838-39 में जर्मन पादप वैज्ञानिक श्लाइडेन
एवं श्वान ने किया था। इनके अनुसार कोशिका जीवों की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है और सभी जीवों का शरीर एक या अनेक कोशिकाओं से बना होता है।
कोशिका के
प्रकार
कोशिकाएँ दो प्रकार की होती
है-
अ) प्रोकैरियोटिक कोशिका- इन कोशिकाओं में कोई स्पष्ट केंद्रक, हिस्टोन प्रोटीन तथा अन्य विकसित
कोशिकांग नहीं
होता है। इनमें कोई दोहरे आवरण नहीं पाए जाते है। सभी केंद्रक अंग कोशिका द्रव्य में
बिखरे होते हैं।
उदाहरण- जीवाणु
तथा नीली हरी शैवाल।
ब) यूकैरियोटिक कोशिका- इन कोशिकाओं में स्पष्ट संगठित
आवरण से
ढका केंद्रक, हिस्टोन प्रोटीन, अन्य विकसित
कोशिकांग तथा दोहरी झिल्ली के आवरण पाए
जाते हैं।
उदाहरण- सभी
उच्च श्रेणी के पौधों और जन्तुओं में यूकैरियोटिक प्रकार की कोशिका पाई जाती है।
जन्तु एवं पादप कोशिका में अंतर
जन्तु
एवं पादप कोशिका में पाए जाने वाले प्रमुख अंतर निम्न हैं-
जन्तु कोशिका
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पादप कोशिका
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कोशिका भित्ति नहीं पायी जाती है।
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कोशिका भित्ति पायी जाती है। यह सेल्यूलोज़ या कार्बो हायड्रेटस की बनी
होती है।
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लवक नहीं पाए जाते है।
(कुछ प्रोटोज़ोआ को छोड़कर)
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लवक पाए जाते है।
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सेण्ट्रोसोम पाया जाता है।
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सेण्ट्रोसोम नहीं पाया जाता है। (कुछ शैवालों और कवकों को छोड़कर)
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लाइसोसोम पाया जाता है।
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कुछ ही कोशिकाओं में लाइसोसोम पाया जाता है।
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रिक्तिकाएँ नहीं पायी जाती है या छोटी पायी जाती है।
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बड़ी रिक्तिकाएँ पायी जाती है।
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विभाजन कोशिका संकीर्णन द्वारा होता है।
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विभाजन के समय सेल प्लेट का निर्माण होता है।
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