रक्त समूह (Blood Groups): प्रमुख 21
तथ्य
1.
रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है।
2.
रक्त शरीर के तापमान का नियंत्रण, रोगों से रक्षा, घावों को भरना, भोजन, ऑक्सीज़न, कार्बन डायऑक्साइड
तथा व्यर्थ पदार्थों का परिवहन, शरीर में जल एवं रासायनिक
संतुलन बनाए रखने में सहायता आदि प्रमुख कार्य करता है।
3.
रक्त एक क्षारीय विलयन है, जिसका Ph मान 7.4 होता है।
4.
एक वयस्क व्यक्ति में 5 से 6 लीटर तक रक्त होता है।
5.
रक्त के संरचनात्मक दृष्टि से दो भाग
होते हैं- प्लाज़्मा (55%) और रूधिर कणिकाएँ (45%)।
6.
रूधिर कणिकाएँ तीन प्रकार की होती हैं- लाल रक्त कणिकाएँ (ईरिथ्रोसाइट्स), श्वेत रक्त कणिकाएँ (ल्यूकोसाइट्स) एवं प्लेटलेट्स।
7.
लाल रक्त कणिकाओं (RBCs)
में हीमोग्लोबिन वर्णक पाया जाता है। यह शरीर में ऑक्सीज़न और कार्बन डायऑक्साइड
का परिवहन करता है।
8.
रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी से एनीमिया
रोग होता है।
9.
रक्त में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या
हीमोसाइटोमीटर द्वारा ज्ञात की जाती है।
10.
श्वेत रक्त कणिकाओं (WBCs) का मुख्य कार्य शरीर को रोगों से बचाना
होता है।
11.
प्लेटलेट्स रक्त का थक्का बनाने में
सहायक होते हैं।
12.
रक्त का थक्का बनाने में फाइब्रिनोज़न एक
अनिवार्य प्रोटीन है।
13.
लाल रक्त कणिकाओं (RBCs)
का जीवनकाल 90 से 120 दिन तथा श्वेत रक्त कणिकाओं का 2 से 4 दिन तक का
होता है।
14.
डेंगू ज़्वर में मानव रक्त में
प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है।
15.
मानव में रक्त समूह की खोज वर्ष 1900
में कार्ल लैंडस्टीनर ने की थी।
16.
मानव में चार रक्त समूह पाये जाते हैं- A, B, AB एवं O।
17.
विभिन्न रक्त समूहों में पाये जाने वाले
प्रतिजन (एंटीजन) और प्रतिरक्षी (एंटीबॉडी) को तालिका में
प्रस्तुत किया जा रहा है-
रक्त समूह
|
एंटीजन
(लाल रक्त कणिकाओं में)
|
एंटीबॉडी
(प्लाज़्मा में)
|
A
|
A एंटीजन
|
b
एंटीबॉडी
|
B
|
B
एंटीजन
|
a
एंटीबॉडी
|
AB
|
AB
एंटीजन
|
कोई एंटीबॉडी नहीं
|
O
|
कोई एंटीजन नहीं
|
a और b एंटीबॉडी दोनों
|
18.
मानव रक्त में पायी जाने वाली भिन्नता
का कारण लाल रक्त कणिकाओं में पाये जाने वाला एंटीजन (ग्लाइकोप्रोटीन)
है।
19.
रक्त समूह o को सार्वत्रिक दाता (Universal Donor) कहते हैं, अर्थात इसे किसी भी रक्त
समूह के मानव को दान दिया जा सकता है, क्योंकि इसमें कोई
एंटीजन नहीं होता है।
20.
रक्त समूह AB को सार्वत्रिक ग्राही (Universal Receptor) कहते हैं, अर्थात यह किसी भी रक्त समूह के मानव से
रक्त ग्रहण कर सकता है, क्योंकि इसमें कोई
एंटीबॉडी नहीं होती है।
21.
Rh फैक्टर मानव रक्त में
पाये जाने वाला एक अन्य एंटीजन है, जिसकी खोज लैंडस्टीनर और वीनर ने सन
1940 में की थी। Rh फैक्टर को रीसस बंदर में सर्वप्रथम खोजे
जाने के कारण इसे यह नाम दिया गया है।
ये भी देखें-
Aklvya dnyandeep samanya dnyandeep
ReplyDeleteNagpur