Friday 15 May 2020

प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत भाग 1


            प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत
प्राचीन इतिहास की जानकारी के तीन महत्वपूर्ण स्रोत है –
1 साहित्यिक स्रोत
2 विदेशी यात्रियों के विवरण
3 पुरातात्विक स्रोत
   1.    सर्वप्रथम हम साहित्यिक स्रोतो की चर्चा कर रहे है , इनको भी सुविधा की दृष्टि से धार्मिक एवं धर्मेत्तर साहित्य ( लौकिक साहित्य) मे बांटा गया है ।
(अ) धार्मिक साहित्य- धार्मिक साहित्य मे हिन्दू ब्राह्मण ग्रंथ , जैन साहित्य तथा बौद्ध साहित्य महत्वपूर्ण स्रोत माने गए है ।
 हिन्दू ब्राह्मण ग्रंथ –  ब्राह्मण ग्रन्थों को दो भागो मे विभाजित किया जाता है ।
श्रुति साहित्य- इसके अंतर्गत चार वेद , वेदो के ब्राह्मण ग्रंथ, उपनिषद और आरण्यक आते है ।
स्मृति साहित्यइसमे वेदांग, धर्मशास्त्र , सूत्र ग्रंथ सम्मिलित है ।
  
·       चार वे – ब्राह्मण साहित्य मे सर्वप्रथम वेद है । वेद चार है ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद अथर्ववेद ।
·       वेदों से आर्यों की धार्मिक, सामाजिक , आर्थिक एवं राजनीतिक इतिहास संबंधी जानकारी मिलती है ।
                     ऋग्वेद
Ø सबसे प्राचीन वेद माना जाता है । इसकी रचना 1500 ई.पूर्व से 1000 ई. पूर्व के बीच मानी जाती है ।  
Ø ऋग्वेद मे 10 मण्डल एवं 1028 सूक्त है । वैदिक श्लोकों को ऋचाएं भी कहा जाता है ।
Ø वर्ण व्यवस्था का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद के दसवें मण्डल मे पुरुष सूक्त मे है ।
Ø ऋग्वेद मे सर्वाधिक स्तुति इन्द्र देवता की है ।
Ø प्रसिद्ध गायत्री मंत्र ऋग्वेद मे ही है । यह सविता देवता को समर्पित है ।
Ø ऋग्वेद का उच्चारण होतृ ऋषि करते थे ।
Ø ऋग्वेद पूर्व वैदिक काल से जबकि अन्य तीन वेद उत्तर वैदिक काल से संबन्धित है ।
                     सामवेद
Ø साम का शाब्दिक अर्थ है गान । इसमे यज्ञ के अवसर पर गाये जाने वाले मंत्रों का संग्रह है ।
Ø सामवेद को भारतीय संगीत का जनक माना जाता है।
Ø  इस वेद का गायन या उच्चारण उद्गात्री पुरोहित करते थे ।
Ø सामवेद मे सूर्य देवता की स्तुति के मंत्र प्रमुख है ।
Ø सामवेद मे यज्ञों के अवसर पर गायें जाने वाले मंत्रों का संग्रह है ।

                       यजुर्वेद
Ø यजुर्वेद मूलतः यज्ञ के नियम एवं विधियों का संकलन है ।
Ø इसके पुरोहित अधर्व्यु कहलाते थे ।
Ø यजुर्वेद गद्य एवं पद्य दोनों मे लिपिबद्ध है ।
Ø इसके दो  भाग है – शुक्ल यजुर्वेद (वाजसनेयी संहिता) जो पद्य मे है तथा कृष्ण यजुर्वेद जो गद्य मे है ।
        
                                               अथर्ववेद
Ø अथर्ववेद अंतिम वेद है , यह उत्तर वैदिक काल की जानकारी का प्रमुख स्रोत है ।
Ø इसमे तंत्र मंत्र , जादू टोना , औषधि प्रयोग आदि का उल्लेख है ।
Ø अथर्ववेद को भारतीय विज्ञान का आधार माना जाता है ।
Ø वेदत्रयी मे अथर्ववेद सम्मिलित नहीं है । ऋग्वेद यजुर्वेद एवं सामवेद को सम्मिलित रूप से वेदत्रयी कहा जाता है ।  

ब्राह्मण ग्रंथ – वैदिक श्लोकों एवं संहिताओ पर टिकाएँ या व्याख्या करने वाले ग्रन्थों को ब्राह्मण ग्रंथ पुकारा गया है । चार वेदों से सम्बद्ध ब्राह्मण ग्रंथ इस प्रकार है –
वेद
ब्राह्मण ग्रंथ

ऋग्वेद

एतरेय एवं कौशितिकी
यजुर्वेद
शतपथ एवं तेतरीय ब्राह्मण

सामवेद
पंचविब्राह्मण
अथर्ववेद
गौपथ ब्राह्मण
                               
                  
        
उपनिषद – 
Ø उपनिषद का शाब्दिक अर्थ है समीप बैठना ।
Ø वैदिक साहित्य का अंतिम भाग होने के कारण इन्हें वेदान्त भी कहते है ।
Ø उपनिषद मूलतः दार्शनिक ग्रंथ है । इसमे आत्मा ,परमात्मा एवं संसार के संबंध मे दार्शनिक विचार एवं विवेचन है ।
Ø उपनिषदों की रचना उत्तर वैदिक काल की मानी जाती है ।
Ø उपनिषदों की कुल संख्या 108 मानी जाती है ।
Ø भारत का राष्ट्रीय वाक्य सत्यमेव जयते मुंडक उपनिषद से लिया गया है ।
Ø केन , कठ, प्रश्न , मुंडक , मांडूक्य आदि प्रमुख उपनिषद है ।

आरण्यक –
Ø आरण्यक का शाब्दिक अर्थ जंगल होता है । इसलिए आरण्यकों को जंगल के ग्रंथ कहा जाता है ।
Ø इनकी प्राप्त संख्या 7 है ।
Ø इनमे भी दार्शनिक एवं रहस्यात्मक विषयों का विवेचन किया गया है । वास्तव मे ये उपनिषदों के पूरक ही है ।

वेदांग –
Ø वेदांगों की संख्या 6 है ।
Ø शिक्षा , कल्प, निरुक्त , छंद , व्याकरण, ज्योतिष ये छः वेदांग है ।
Ø इनकी रचना वेदों मे वर्णित विषयों को समझाने के लिए हुई थी ।

उपवेद –
धर्मनिरपेक्ष विषयों की व्याख्या के लिए उपवेदों की रचना हुई –

वेद
उपवेद
विषय
ऋग्वेद
आयुर्वेद
चिकित्सा शास्त्र
यजुर्वेद
धनुर्वेद
सैन्य विज्ञान
सामवेद
गंधर्ववेद
संगीत कला
अथर्ववेद
शिल्पवेद
वास्तुकला

सूत्र ग्रंथ –
Ø इनमे कर्मकांड और रीति रिवाजों का विस्तृत विवरण है ।
Ø सूत्र ग्रन्थों मे श्रोत सूत्र , गृह्य सूत्र , धर्म सूत्र एवं शुल्व सूत्र

महाकाव्य – वाल्मीकि रचित रामायण एवं वेद व्यास की जय संहिता ( महाभारत ) दो प्रसिद्ध महाकाव्य है ।
स्मृति ग्रंथ-
Ø मनु स्मृति सबसे प्राचीन मानी जाती है ।
Ø इसके अलावा नारद स्मृति , याज्ञवल्क्य स्मृति और बृहस्पति स्मृति महत्वपूर्ण है ।

पुराण –
Ø पुराणों की संख्या 18 है । इनमे से कुछ ऐतिहासिक महत्व के है ।
Ø पुराणों के रचयिता ऋषि लोमहर्ष एवं उनके पुत्र उग्रश्रवा माने जाते है ।
Ø सबसे प्राचीन पुराण मत्स्य पुराण है ।
Ø महाभारत युद्ध के बाद से 6 ठी शताब्दी ई.पूर्व तक के इतिहास के मुख्य स्रोत पुराण ही है ।
Ø विष्णु पुराण से मोर्य वंश की , वायु पुराण से गुप्त वंश की तथा मत्स्य पुराण से सातवाहन वंश की ऐतिहासिक जानकारी प्राप्त होती है ।
दर्शन ग्रंथ –
उपरोक्त के अलावा विभिन्न दर्शन ग्रंथ जैसे
Ø कपिल का- सांख्य दर्शन
Ø पतंजलि का योग दर्शन
Ø गौतम का न्याय दर्शन
Ø कणाद का वैशेषिक दर्शन
आदि भी तत्कालीन इतिहास और समाज पर प्रकाश डालते है ।

             बोद्ध साहित्य
Ø धार्मिक साहित्य मे दूसरा स्थान बोद्ध धर्म के ग्रन्थों का है ।       
Ø बौद्ध साहित्य पाली एवं प्राकृत भाषा मे है ।
पाली साहित्य –
बौद्ध साहित्य मे पाली भाषा मे रचित त्रिपिटकों का सबसे प्रमुख स्थान है –
Ø विनय पिटक – इसमे मठ निवासियों के लिए नीति-नियम एवं निर्देश है ।
Ø सुत्त पिटक – इसमे भगवान बुद्ध के उपदेशों का सार सूत्र रूप मे संग्रहीत है ।
Ø अभिधम्म पिटक – इसमे बौद्ध दर्शन एवं विचारों का शास्त्रीय विवेचन है ।
Ø मिलिंद पन्हों – यूनानी नरेश मिनाण्डर एवं बौद्ध भिक्षु नागसेन का वार्तालाप है । जिसमे सम्राट मिलिंद के प्रश्नो का उत्तर नागसेन द्वारा दिया गया है ।
Ø दीपवंश एवं महावंश – ये दोनों श्रीलंका के ऐतिहासिक बौद्ध ग्रंथ है ।
संस्कृत साहित्य –
संस्कृत मे भी बोद्ध साहित्य की रचना हुई जिसमे सबसे प्रमुख –
Ø ललित विस्तार – यह बुद्ध का जीवन चरित्र है ।
Ø अश्वघोष का बुद्दचरित भी प्रसिद्ध ग्रंथ है ।
Ø 549 जातक कथाओं मे बुद्ध के पूर्व जन्मों का विवरण है ।
Ø बौद्ध ग्रंथ अगुत्तर निकाय मे 16 महा जनपदों का उल्लेख  है ।


                   जैन साहित्य
Ø जैन ग्रंथो की भाषा प्राकृत रही है ।
Ø सर्वप्रथम जैन ग्रंथो को आगम कहा गया , बाद मे 14 पूर्व नामक ग्रन्थों मे संकलित किया गया ।
Ø  12 अंग भी जैन धर्म से संबन्धित है ।  
Ø जैन मुनि भद्रबाहु का जीवन चरित भद्रबाहु चरित ग्रंथ से चन्द्रगुप्त मौर्य की जानकारी प्राप्त होती  है ।
Ø महावीर स्वामी का जीवन परिचय भगवती सूत्रहै , इसमे सोलह महजनपदों का उल्लेख है ।
Ø सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जैन ग्रंथ हेमचन्द्र द्वारा रचित परिशिष्ठ पर्व है।